Contract Employees Good News: हाई कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश, संविदा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी
Contract Employees Regularisation 2025: लंबे समय से अपनी सेवाओं को नियमित किए जाने की मांग कर रहे संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। दिवाली के बाद सरकार की ओर से यह खबर किसी तोहफे से कम नहीं है। हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य सरकार संविदा कर्मचारियों का शोषण नहीं कर सकती और उन्हें दशकों तक अस्थायी पदों पर रखे रहना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।
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| संविदा कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का बड़ा फैसला |
संविदा कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
यह फैसला जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की बेंच ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने कई दशकों तक लगातार सेवाएं दी हैं, वे नियमितीकरण के पूरी तरह हकदार हैं। यह मामला दो संविदा कर्मचारियों से जुड़ा था जिन्होंने 1979 और 1982 से लगातार काम किया था।
दोनों याचिकाकर्ताओं — सुरेंद्र सिंह और राजेंद्र प्रसाद — को पीआरटीसी बनाला डिपो में पार्ट-टाइम वायरमैन के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन 40 साल से अधिक समय तक काम करने के बावजूद उन्हें कभी नियमित नहीं किया गया। कोर्ट ने इसे पूरी तरह गलत ठहराया।
कर्मचारियों ने कोर्ट में रखी अपनी दलील
कर्मचारियों के वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने हमेशा पूर्णकालिक कर्मचारियों के बराबर कार्य किया है। नवंबर 2004 से उन्हें न्यूनतम वेतन और महंगाई भत्ता भी दिया जा रहा था, जो यह साबित करता है कि उनका कार्य नियमित प्रकृति का था।
उन्होंने कहा कि 1999 और 2001 की नियमितीकरण नीतियों के तहत जो कर्मचारी तीन या दस साल की सेवा पूरी करते हैं, उन्हें स्थायी पदों पर रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने इस दलील को सही माना।
राज्य संविदा कर्मियों का शोषण नहीं कर सकता: कोर्ट
पीआरटीसी के वकील ने यह तर्क दिया कि नियमितीकरण नीति इन पर लागू नहीं होती। लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए इस दलील को खारिज कर दिया कि राज्य एक आदर्श नियोक्ता (Ideal Employer) की भूमिका निभाने के लिए बाध्य है। कर्मचारियों को 40 वर्षों तक अस्थायी स्थिति में रखना न्यायसंगत नहीं है।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम उमा देवी केस का हवाला देते हुए कहा कि राज्य किसी भी कर्मचारी को लंबे समय तक अस्थायी नौकरी में नहीं रख सकता।
संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इतने लंबे समय तक अस्थायी पदों पर काम करवाना अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि याचिकाकर्ताओं को स्थायी कर्मचारियों के रूप में नियमित किया जाए।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा कि सरकार को कल्याणकारी नीतियों को लागू करना चाहिए, न कि कर्मचारियों का शोषण।
अब क्या होगा अगला कदम?
इस फैसले के बाद अब अन्य संविदा कर्मचारियों के लिए भी राहत की संभावना बढ़ गई है। सरकार को संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने पड़ सकते हैं।
🧾 FAQs: संविदा कर्मचारी नियमितीकरण से जुड़े सवाल
1. क्या सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा?
हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार, जो कर्मचारी लंबे समय से सेवा दे रहे हैं और नियमित पदों पर कार्य कर रहे हैं, उन्हें नियमित किए जाने का हक है।
2. यह फैसला किन कर्मचारियों पर लागू होगा?
वर्तमान में यह आदेश पीआरटीसी के दो कर्मचारियों से संबंधित है, लेकिन यह भविष्य में अन्य विभागों के संविदा कर्मियों के लिए भी मिसाल बन सकता है।
3. क्या सरकार इस फैसले को चुनौती दे सकती है?
सरकार चाहे तो इस आदेश के खिलाफ अपील कर सकती है, लेकिन वर्तमान में कोर्ट का आदेश स्पष्ट है कि कर्मचारियों का नियमितीकरण जरूरी है।
4. यह फैसला कब लागू होगा?
फैसले के अनुसार, राज्य सरकार को जल्द से जल्द संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।

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